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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा) जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों, व्यापार मंडल तथा आम नागरिकों ने एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। गुस्साए लोगों ने एक विशाल रोष रैली निकालकर आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह रोष रैली नई मार्केट से शुरू होकर पूरे लडभड़ोल कस्बे में निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी शामिल हुए। लोगो ने आतंकवाद विरोधी नारे लगाकर घटना के प्रति अपना गहरा दुख और रोष व्यक्त किया। इस विरोध प्रदर्शन को स्थानीय व्यापारियों का भी पूरा समर्थन मिला। शहर के सभी व्यापारियों ने सुबह 11 बजे तक अपनी दुकानें बंद रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई। रैली के दौरान पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस अवसर पर पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने केंद्र सरकार, विशेषकर केंद्र...

सुंड की नहीं हो सकती है खेती, किसान हों सावधान, नहीं मिलेगी मार्केट राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर ने जारी की एडवाइजरी


 जोगिन्दर नगर नगर, 22 मार्च-देखने में आया है कि आजकल कुछ किसान सौंठ की खेती करने का दावा कर रहे हैं। साथ ही प्रचार यह हो रहा है कि सौंठ का बीज कुछ सरकारी व गैर सरकारी अनुसंधान संस्थानों से मिल रहा है। लेकिन जब फसल तैयार हो रही है तो किसानों को कोई खरीदार नहीं मिल रहा। ऐसे धोखे का शिकार हो रहे किसान मार्केट न मिलने के अभाव में परेशान का सामना कर रहे हैं।

इस संबंध में आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान जोगिन्दर नगर स्थित आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय सुगमता केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अरुण चंदन द्वारा एक एडवाइजरी जारी करके किसानों को सावधान रहने का सुझाव दिया गया है। उनका कहना है कि असल में सौंठ तो अदरक को विशेष विधि से सुखाकर कर बनाया जाता है। सौंठ नाम का कोई पौधा नहीं होता है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि किसान शटी नामक पौधे जिसे कपूर कचरी सौंठ के नाम भ्रमित हो रहे हैं। कपूर कचरी हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी पाई जाती है, लेकिन यह कतई सौंठ नहीं है। एडवाइजरी में कहा गया है किसान ऐसे किसी भी दावे से भ्रमित न हों और 18001205778 राष्ट्रीय हेल्पलाइन से जानकारी ले सकते हैं या क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर से संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड को यह जानकारी जानकर भी आश्चर्य हुआ है कि शिमला व हिमाचल के कुछ शहरों में इस तथाकथित सौंठ को बड़े शौक से सलाद के रूप में भी परोसा जा रहा है। इस संबंध में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड की स्थानीय विशेषज्ञ समिति जिसमें प्रो.डी.आर.नाग, डॉ.अरुण चंदन, डॉ.सौरभ शर्मा, डॉ. शीतल चंदेल एवं डॉ. पंकज पालसरा शामिल है ने कहा कि यदि कोई कहे कि वह गुड़ की खेती कर रहा है तो क्या यह संभव है। इसी तरह सौंठ भी अदरक का ही परिवर्तित रूप है। ऐसे में सौंठ की खेती संभव नहीं है जबकि अदरक की खेती की जा सकती है।
उन्होने उत्तर भारत के किसानों से इस तरह सौंठ की खेती के नाम पर भ्रमित न होने का आह्वान किया है। इस संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी वे सीधे राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय हेल्पलाइन नम्बर की भी मदद ले सकते हैं।



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