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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा) जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों, व्यापार मंडल तथा आम नागरिकों ने एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। गुस्साए लोगों ने एक विशाल रोष रैली निकालकर आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह रोष रैली नई मार्केट से शुरू होकर पूरे लडभड़ोल कस्बे में निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी शामिल हुए। लोगो ने आतंकवाद विरोधी नारे लगाकर घटना के प्रति अपना गहरा दुख और रोष व्यक्त किया। इस विरोध प्रदर्शन को स्थानीय व्यापारियों का भी पूरा समर्थन मिला। शहर के सभी व्यापारियों ने सुबह 11 बजे तक अपनी दुकानें बंद रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई। रैली के दौरान पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस अवसर पर पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने केंद्र सरकार, विशेषकर केंद्र...

स्टीविया के शुगर फ्री प्रोडक्ट्स तैयार करने को प्रदेश में 200 एकड़ खेती की है जरूरत प्रतिवर्ष 2 हजार टन स्टीविया की पत्तियों की है जरूरत, किसान प्रति एकड़ कमा सकता है एक लाख रूपया स्टीविया की खेती को राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय जोगिन्दर नगर किसानों को करेगा प्रोत्साहित


 जोगिन्दर नगर, 16 दिसम्बर-हिमाचल प्रदेश में स्टीविया के शुगर फ्री प्रोडक्ट्स तैयार करने के लिए प्रतिवर्ष 2 हजार टन स्टीविया की पत्तियों की जरूरत है। इसके लिये किसानों को लगभग 200 एकड़ जमीन में स्टीविया की खेती करनी होगी। स्टीविया की खेती से एक किसान एक एकड़ जमीन से प्रतिवर्ष एक से डेढ़ लाख रुपया कमा सकता है। लेकिन प्रदेश में गुणवत्तायुक्त स्टीविया की पत्तियां उपलब्ध न हो पाने के कारण प्रदेश में ही स्टीविया के शुगर फ्री प्रोडक्ट्स तैयार करने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।
प्रदेश के अंदर ही बद्दी में दिल्ली के 53 वर्षीय उद्योगपति सौरभ अग्रवाल ने लगभग साढ़े आठ करोड़ रूपये की लागत से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की आयातित तकनीक के आधार पर स्टीविया प्रोडक्ट्स 'स्टीविया लाईफ Ó ब्रांड तैयार करने को स्टीविया बायोटेक उद्योग स्थापित कर लिया है। लेकिन प्रदेश के भीतर गुणवत्तायुक्त स्टीविया की पत्तियां न मिल पाने के कारण वे इस कार्य को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होने विदेशों से आयात किये हुए उच्च गुणवत्ता युक्त एवं स्थानीय पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए स्टीविया के पौधे तैयार कर लिये हैं। जिन्हे टिश्यू कल्चर के माध्यम से मदर नर्सरी तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि कंपनी को जरूरत अनुसार उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीविया का कच्चा माल उपलब्ध हो सके। इसके लिये उन्होने राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर में पहुंचकर स्टीविया की खेती से प्रदेश के किसानों को जोड़ने का विशेष आग्रह किया है ताकि स्टीविया के शुगर फ्री प्रोडक्ट्स तैयार करने के लिये प्रदेश के भीतर ही आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध हो सके। वर्तमान में जो स्टीविया के पौधे तैयार हो रहे हैं वे न केवल गुणवत्ता की दृष्टि से निम्न दर्जे के हैं बल्कि उन्हे उद्योग में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
इस संदर्भ में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि स्टीविया एक प्राकृतिक स्वीटनर है जो गन्ने से न केवल 300 गुणा अधिक मीठा होता है बल्कि इसमें जीरो शुगर व कैलोरी होती है। ऐसे में देश के लगभग 8 करोड़ मधुमेह मरीजों के लिए शुगर फ्री प्रोडक्ट्स की बहुत मांग है। लेकिन वर्तमान में देश के भीतर शुगर फ्री प्रोडक्ट्स केवल विदेशों से आयातित कच्चे माल के आधार पर ही तैयार हो रहें जिसके लिये हमारे यहां कोई स्थानीय व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
उनका कहना है कि स्टीविया बायोटेक किसानों से अनुबंध कर 'स्टीविया लाइफÓ ब्रांड के तहत अपने स्तर पर स्टीविया के पौधे तैयार करना चाहती है। इससे न केवल कंपनी को उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीविया का कच्चा माल मिल सकेगा बल्कि किसानों को उनके उत्पाद की उचित लागत भी प्राप्त होगी। राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड का क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र-एक उत्तर भारत स्थित जोगिन्दर नगर कार्यालय अगले दो वर्ष में 50 एकड़ से लेकर 200 एकड़ तक की स्टीविया खेती से जोड़ने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का काम करेगा।
उन्होने बताया कि जिला ऊना में औषधीय पौधों व जड़ी बूटियों की खेती को मनरेगा कन्वर्जेन्स के तहत जोड़ा गया है, ऐसे मेें उपायुक्त ऊना के सहयोग से स्टीविया को भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का ऊना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र भी स्टीविया बायोटेक के साथ स्टीविया के क्षेत्र में काम करने को आगे आया है।
डॉ. अरूण चंदन का कहना है कि स्टीविया विदेशों से आयातित पौधा है। हिमाचल प्रदेश में स्टीविया के पौधे तैयार करने के लिए जलवायु की दृष्टि से जिला ऊना, बिलासपुर, निचला सोलन तथा कांगड़ा जिला के गर्म व मैदानी इलाके उपयुक्त हैं।





 

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