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अखिलेश्वर महादेव मंदिर बनांदर में हवन यज्ञ के साथ तीन दिवसीय बनांदर मेले की हुई स्थापना

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तहसील लडभड़ोल के प्रसिद्ध कई दशकों आयोजित होने वाले तीन दिवसीय बनांदर मेले की स्थापना वीरवार को अखिलेश्वर महादेव मंदिर बनांदर में विधिवत हवन एवं पूजा अर्चना के साथ की गई। इस मेले की स्थापना मेला कमेटी बनांदर के प्रधान अनित ठाकुर द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। इस मौके पर मेला कमेटी बनांदर के प्रधान अनित ठाकुर मेला कमेटी के उपप्रधान कुलविंदर सचिव संतोष कुमार ग्राम पंचायत ममाण-बनांदर के प्रधान महेंद्र आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे। बता दे कि मेले में दुकान में सजाने भी शुरू हो गई है और मंच को भी सजाया जा रहा है। मेला कमेटी बनांदर के प्रधान अनित ठाकुर ने कहा कि इस तीन दिवसीय मेले के दौरान जहां महिला और पुरुष की विभिन्न अलग अलग खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। उन्होंने कहा कि वीरवार और शुक्रवार को रात्रि सांस्कृतिक संध्या आयोजित की जाएगी।जिसमें क्षेत्रीय और दूसरे क्षेत्रों के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। उन्होंने कहा कि वीरवार को होने वाली सांस्कृतिक संध्या में मुख्यअतिथि के तौर पर प्रदेश कांग्रेस महासचिव ठाकुर प्रेमनाथ शिरकत करेंगे। उन्होंने बताया कि 11 अप्रैल शुक्रवार को वॉलीबॉल सीनियर...

10 साल पूरा कर चुके चौकीदार बनाए दैनिकभोगी, प्रदेश हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश, सरकार को आठ सप्ताह का समय

 


प्रदेश हाई कोर्ट ने जारी किए निर्देश; सरकार को आठ सप्ताह का समय, वित्तीय लाभ के नहीं होंगे हकदार

विधि संवाददाता, शिमला

प्रदेश हाई कोर्ट ने दस वर्षों तक बतौर अंशकालिक कार्यकाल पूरा करने वाले याचिकाकर्ता पंचायत चौकीदारों को नियत तिथि से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में परिवर्तित करने के आदेश जारी किए है। हाई कोर्ट ने इस बाबत राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता अपनी सेवाओं को नियत तारीख से अंशकालिक से दैनिक वेतन भोगी में बदलने के कारण किसी भी वित्तीय लाभ के हकदार नहीं होंगे, लेकिन नियत तारीख से उनकी वरिष्ठता को नियमितीकरण के उद्देश्य से माना जाएगा। इसका वे बाद में दावा कर सकते हैं। राज्य सरकार की दलील थी कि पार्ट टाइम चौकीदारों को संबंधित ग्राम पंचायत के कर्मचारी होने के कारण प्रतिवादी सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को दिए जाने वाले सहायता अनुदान में से मानदेय का भुगतान किया जा रहा है,जबकि न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादी-राज्य सरकार द्वारा जारी सहायता अनुदान से पारिश्रमिक का 90 फीसदी भुगतान किया जाता है और अंशकालिक श्रमिकों की सभी नियुक्तियां सक्षम प्राधिकारी की पूर्व सहमति और अनुमोदन के साथ की जाती हैं। इसलिए यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि उक्त पदों पर कार्यरत व्यक्ति ग्राम पंचायत के कर्मचारी हैं।

हिमाचल सरकार ने 31.03.2009 तक 10 साल की निरंतर सेवा पूरी करने वाले शिक्षा और आयुर्वेद विभाग को छोड़कर सभी अंशकालिक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवाओं को दैनिकभोगी में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। मामले के अनुसार पंचायत समितियों और जिला परिषदों में अंशकालिक आधार पर कार्यरत पंचायत चौकीदारों और चपरासी को दिनांक 13.10.2009 और 11.9.2018 को लिए गए नीतिगत निर्णयों का लाभ दिया गया, जबकि याचिकाकर्ताओं इस आधार पर छोड़ दिया कि उनको सरकार द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था और न ही उन्हें सरकार से कोई वेतन दिया जाता है।

इस तरह, वे अपनी अंशकालिक सेवा को दैनिक सेवा वेतन में बदलने का लाभ नहीं मांग सकते हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि पूर्वोक्त अनुमति केवल उन्हीं जिला परिषदों और पंचायत समितियों को दी गई है। इनके पास अपने स्वयं के संसाधनों से सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से उनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों के वेतन और वेतन के खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त आय है। कार्यालय आदेश 11-9-2018 का अध्ययन करने के बाद न्यायालय ने पाया कि उत्तरदाताओं ने कार्यालय आदेश जारी करके वर्ग के भीतर वर्ग बनाने का प्रयास किया है, जो कि न्यायोचित नहीं है। एक बार सभी अंशकालिक कर्मचारियों/ कर्मचारियों को सक्षम प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से संबंधित ग्राम पंचायत, पंचायत समितियों और जिला परिषदों द्वारा नियुक्त किया जाता है और उन्हें प्रतिवादी-राज्य द्वारा प्रदान किए गए सहायता अनुदान से मासिक पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पर्याप्त संसाधन वाली पंचायतों व अपर्याप्त संसाधन वाली पंचायतों के परस्पर कर्मचारियों में अंतर नहीं किया जा सकता है।


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