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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला।

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लडभड़ोल ( मिन्टु शर्मा) जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के विरोध में शुक्रवार को लडभड़ोल तहसील क्षेत्र में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों, व्यापार मंडल तथा आम नागरिकों ने एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। गुस्साए लोगों ने एक विशाल रोष रैली निकालकर आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह रोष रैली नई मार्केट से शुरू होकर पूरे लडभड़ोल कस्बे में निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी शामिल हुए। लोगो ने आतंकवाद विरोधी नारे लगाकर घटना के प्रति अपना गहरा दुख और रोष व्यक्त किया। इस विरोध प्रदर्शन को स्थानीय व्यापारियों का भी पूरा समर्थन मिला। शहर के सभी व्यापारियों ने सुबह 11 बजे तक अपनी दुकानें बंद रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई। रैली के दौरान पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस अवसर पर पूर्व सैनिक लीग इकाई लडभड़ोल के अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने केंद्र सरकार, विशेषकर केंद्र...

अंग्रेजी पढ़ी 'आशा', पहाड़ी की अभिलाषा, कोरोना काल में सामने आया चौंतड़ा स्कूल की शिक्षिका का पहाड़ी कविता का हुनर! ( साभार :- फोकस हिमाचल)


पेशे से शिक्षिका आशा पठानिया की मां को हिमाचली लोकगीत गाने का बहुत शौक है। शायद यही वजह रही कि अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर करने वाली आशा ने साहित्य लेखन के लिए पहाड़ी को प्राथमिकता दी और पहाड़ी लेखन में अपनी अलग पहचान बनाई है। आशा पठानिया का कहना है कि उनको पहाडी भाषा पसंद है, इसलिए पहाड़ी कविता लिखती हैं। कोरोना काल के दौरान उनकी लगभग 100 के करीब कविताएँ सोशल मीडिया पर छाई रहीं। तरन्नुम में रचना पाठ करने का उनका अंदाजे ब्यां कमल का है।कई साहित्य और समाचार पत्रों के फेसबुक पेजों पर उनकी कवितायेँ जम कर वायरल हुईं।  

डायरियों में कैद थी रचनाएं 
आशा पठानिया वर्ष 2003 तक कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए लघुकथाएं व कविताएं लिखती रही, लेकिन शिक्षिका के तौर पर व्यस्तताओं के चलते  लिखने का सिलसिला डायरियों तक सिमट गया और छपने का शौक जाता रहा। कोविड 19 के चलते लॉकडाउन पीरियड में आशा पठानिया का लिखा लोगों के सामने आया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर आशा पठानिया की पहाड़ी कविताओं की खूब धूम मची रही. वे बाल कविताएँ भी लिखती हैं और पहाड़ी के साथ हिंदी कविता में भी गहरा दखल रखती हैं।

अध्यापन में दो दशक का सफर 
मंडी की जोगिंद्रनगर तहसील के गुम्मा गांव की शिक्षिका आशा पठानिया राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चौंतड़ा में टीजीटी आर्ट्स के पद पर कार्यरत हैं। 17 वर्ष तक प्राथमिक शिक्षा विभाग में सेवायें देने वाली आशा पठानिया अध्यापन के क्षेत्र मे पिछले 21 वर्षों से जुटी हैं। उनका मायका चौंतड़ा में है। पिता इंडियन आर्मी से कैप्टन के पद से सेवानिवृत् हुए हैं व माता जी गृहणी हैं। उनके ससुर जी शिक्षा विभाग से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत् हुए हैं। आशा के पति  विकेश सिंह पठानिया हिमाचल प्रदेश सहकारी बैंक में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत हैं। बेटा ग्यारहवीं में पढ़ता है व और बेटी आठवीं में। सरल जीवनशैली को अपनाने वाली आशा पठानिया को बागवानी, सिलाई- बुनाई - कढ़ाई का शौक है  व बुजुर्गों के करीब रहना बहुत पसंद है।
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