हिमाचल प्रदेश में तैनात आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने तथा अनुबंध पर लाने के लिए सरकार ने साफ इंकार कर दिया है। आउटसोर्स कर्मचारियों से जुड़ा मुद्दा शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान सदन में प्रमुखता से उठा। कांग्रेस विधायकों व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, मोहन लाल ब्राक्टा और विक्रमादित्य सिंह के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आउटसोर्स पर तैनात कर्मचारी न तो नियमित होंगे और न ही इन्हें अनुबंध पर लाने के लिए कोई नीति लाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देेते हुए कहा कि आउटसोर्स कर्मियों को सरकारी सेवा के दायरे में लाना संभव नहीं है और इसे लेकर सरकार कांग्रेस की तरह कोई झूठा आश्वासन नहीं देना चाहती।
कांग्रेस विधायकों ने आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्तियों में रिजर्वेशन लागू करने की मांग उठाई जिसे मुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि स्थायी नौकरी की नियुक्ति में ही रिजर्वेशन का प्रावधान है और आउटसोर्स नियुक्तियां इस दायरे में नहीं आतीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्तियां के संदर्भ में प्रदेश सरकार पूर्व कांग्रेस शासन में बनाई गई नीति का अनुसरण करती है। उन्होंने कहा कि ये नियुक्तियां पूरी पारदर्शिता से हो रही हैं और सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इन कर्मचारियों का शोषण न हो।
विधायक राकेश पठानिया के अनुपूरक सवाल पर सीएम ने यह भी कहा कि सरकारी पदों की भर्ती में आउटसोर्स कर्मचारियों को विशेष प्राथमिकता भी नहीं दी जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकारी विभागों व उपक्रमों में लगभग 12 हजार कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात हैं और इन पर 153 करोड़ का खर्च आ रहा है। इनमें 130 करोड़ की धनराशि कर्मचारियों को दी जाती है, जबकि 23 करोड़ की राशि आउटर्सोस कंपनियां को जाता है। इनमें करीब 14 करोड़ की राशि जीएसटी पर खर्च हो रही है। उन्होंने कहा कि बीते एक साल में आउटसोर्स आधार पर 3100 कर्मचारी रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 94 आउटसोर्स कंपनियां काम कर रही हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार झूठा आश्वासन देकर आउटसोर्स कर्मचारियों को गुमराह नहीं कर सकती, जो कि पिछली वीरभद्र सरकार ने साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले किया था। तब शिमला में पीटीए शिक्षकों के एक बड़े सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पीटीए शिक्षकों को नियमित कर दिया जाएगा। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था से इन शिक्षकों को स्थायी नहीं किया जा सकता है और यही नियम आउटसोर्स कर्मियों पर भी लागू होते हैं।
विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश मैं OUTSOURCE कर्मचारी जो क़रीबन 12,165 है , जिनके लिए RS 153,19,80,030 का बजट सरकार द्वारा दिया जाता है पर उन तक केवल RS 130,10,21,808 ही पहुँचता है । क़रीबन RS 23,09,58, 224 OUTSOURCE COMPANY रखती है । सरकार से निवेदन किया की कोई ऐसी SOCIETY बनाई जाए जिसमें यह 23 CRORE कर्मचारी को मिले ।
मुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि OUTSOURCE कर्मचारी के लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बनाई जाएगी। जो कर्मचारी को पक्का करने बारे चुनाव के समय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल द्वारा की गयी थी ।
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