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लड भड़ोल महाविद्यालय में सड़क सुरक्षा क्लब द्वारा शपथ ग्रहण व कार्यशाला का आयोजन

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राजकीय महाविद्यालय लड भड़ोल में सड़क सुरक्षा क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों सहित स्टाफ सदस्यों ने सड़क सुरक्षा नियमों के अनुपालन संबंधी शपथ ग्रहण की। इस मौके पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. संजीव कुमार ने उपस्थित विद्यार्थियों व स्टाफ सदस्यों को शपथ दिलवाई। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में इस गंभीर विषय के प्रति संवेदनशीलता और सजगता की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सड़क सुरक्षा क्लब के संयोजक प्रो. पंकज कुमार ने कार्यशाला के दौरान युवा विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों व तथ्यों के प्रति जागरूक किया। इसके अंतर्गत सड़क सुरक्षा चिन्ह व लर्नर लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को मुख्य रूप से सम्मिलित किया गया। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व पंजीकरण प्रक्रिया के अंतर्गत महाविद्यालय के 50 विद्यार्थियों को शामिल किया गया। इस मौके पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ संजीव कुमार ने सड़क सुरक्षा क्लब के सभी सदस्यों को सफल कार्यक्रम आयोजन के लिए बधाई दी।

लड भडोल क्षेत्र मे धू-धू कर जल रहे हैं जंगल

लड भडोल क्षेत्र में  धू  धू कर जल रहे हैं जंगल। पती धरती करे पुकार बंद करो यह अत्याचार!   धू-धू कर जल रहे जंगल।                        आजकल देखने में आ रहा है कि कुछ लोग अपनी जमीन को साफ करने के लिए तो कुछ शरारती तत्व जंगलों में आग लगा रहे हैं जिससे एक तो पहले ही गर्मी ज्यादा है और इन को जलाने के बाद गर्मी और ज्यादा बढ़ रही है साथ में प्रदूषण भी बढ़ रहा है आजकल बहुत सारे जीव जंतु प्रजनन करते हैं अंडे देते हैं लेकिन आग लगने के कारण उनके अंदर बच्चे नष्ट हो जाते हैं तो एक मानव  होने के नाते हमारा यह काम करना बहुत ही गलत काम है और जंगल में आग लगाने वाले लोगों को शर्म होनी चाहिए और वैसे भी यह एक और गैरकानूनी काम है।               
     
पिछले कल देखने में आया कि सयुन के जंगलों में भी आग लगी हुई थी जाहिर सी बात है यह किसी शरारती तत्व का ही काम है लेकिन इससे जब जंगलों में आग भड़कती है तो बहुत सारे जीव जंतु और पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंचता है तो लोगों को अब सोचना चाहिए आज के जमाने में सभी पढ़े लिखे हैं तो इन पढ़े लिखो को अकल होनी पढ़े लिखे गवार को अकल होनी चाहिए पुराने करते थे।     
                                             पुरानी बुजुर्ग भी जंगलों को नष्ट नहीं होने देते थे वह पहले अगर एक पेड़ काटते थे तो उसके बदले में पहले 10 पेड़ लगाते थे और पेड़ों को काटना पाप समझा जाता था लेकिन आजकल जैसे पेड़ों को काटना पेड़ों को जलाना एक फैशन बन गया है  लेकिन आदमी जो है आपने हद को पार कर चुका है जिसके परिणाम हमें देखने को मिल रहा है वह दिन दूर नहीं जब आदमी साफ  हवा के लिए तरस जाएगा इसलिए सब से गुजारिश है कि मानव होने का परिचय दें  और जंगलों को ना जलाएं

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