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आंगनवाड़ी विभाग से हेल्पर पद से दो आंगनवाड़ी हेल्पर हुई सेवानिवृत्त!

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🔴लडभड़ोल (मिन्टु शर्मा)आंगनवाड़ी सर्कल लड भडोल के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र ममाण की हेल्पर श्रीमती भानो देवी 60 वर्ष आयु पूर्ण होने पर आज सेवानिवृत हो गईं। साथ ही सर्किल खदर से आंगनबाड़ी केंद्र मांगडोल के हेल्पर माया देवी ने 60 वर्ष आयु  पूर्ण होने पर सेवानिवृत हुईं।इनका कार्यकाल सराहनीय रहा। आज अपने आखिरी दिन की हाजिरी लगाते हुए इन्होंने स्टाफ तथा अन्य लोगों को नाम आंखों से विभाग को अलविदा कहा। इस अवसर पर समस्त आंगनबाड़ी स्टाफ तथा परिजनों ने हार पहना कर उनका जोरदार स्वागत किया। सुपरवाइजर चूड़ामणि तथा पूरे स्टाफ ने मिलकर भानु देवी को सूट और कंबल और माया देवी को सूट और मिक्सी तोहफे के तौर पर भेंट की। आंगनबाड़ी के सुपरवाइजर चूड़ामणि का संपूर्ण स्टाफ ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान इनका व्यवहार सराहनीय रहा।

लड भडोल क्षेत्र मे धू-धू कर जल रहे हैं जंगल

लड भडोल क्षेत्र में  धू  धू कर जल रहे हैं जंगल। पती धरती करे पुकार बंद करो यह अत्याचार!   धू-धू कर जल रहे जंगल।                        आजकल देखने में आ रहा है कि कुछ लोग अपनी जमीन को साफ करने के लिए तो कुछ शरारती तत्व जंगलों में आग लगा रहे हैं जिससे एक तो पहले ही गर्मी ज्यादा है और इन को जलाने के बाद गर्मी और ज्यादा बढ़ रही है साथ में प्रदूषण भी बढ़ रहा है आजकल बहुत सारे जीव जंतु प्रजनन करते हैं अंडे देते हैं लेकिन आग लगने के कारण उनके अंदर बच्चे नष्ट हो जाते हैं तो एक मानव  होने के नाते हमारा यह काम करना बहुत ही गलत काम है और जंगल में आग लगाने वाले लोगों को शर्म होनी चाहिए और वैसे भी यह एक और गैरकानूनी काम है।               
     
पिछले कल देखने में आया कि सयुन के जंगलों में भी आग लगी हुई थी जाहिर सी बात है यह किसी शरारती तत्व का ही काम है लेकिन इससे जब जंगलों में आग भड़कती है तो बहुत सारे जीव जंतु और पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंचता है तो लोगों को अब सोचना चाहिए आज के जमाने में सभी पढ़े लिखे हैं तो इन पढ़े लिखो को अकल होनी पढ़े लिखे गवार को अकल होनी चाहिए पुराने करते थे।     
                                             पुरानी बुजुर्ग भी जंगलों को नष्ट नहीं होने देते थे वह पहले अगर एक पेड़ काटते थे तो उसके बदले में पहले 10 पेड़ लगाते थे और पेड़ों को काटना पाप समझा जाता था लेकिन आजकल जैसे पेड़ों को काटना पेड़ों को जलाना एक फैशन बन गया है  लेकिन आदमी जो है आपने हद को पार कर चुका है जिसके परिणाम हमें देखने को मिल रहा है वह दिन दूर नहीं जब आदमी साफ  हवा के लिए तरस जाएगा इसलिए सब से गुजारिश है कि मानव होने का परिचय दें  और जंगलों को ना जलाएं

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